Saturday, January 31, 2009

जीना सिखाते लोग...

उनकी उम्र पचास साल के आसपास होगी। इस उम्र में भी वो एक दम फ़िट हैं। एक सफल व्यवसायी हैं। दिल्ली जैसे शहर में भाग-दौड़ करके अपना ये व्यवसाय जमाया है उन्होंने। और, आज भी पूरे जोश के साथ काम कर रही हैं। पूरे परिवार को उन पर गर्व हैं। पति कहते है हर जनम में यही पत्नि मिले, बच्चे कहते हैं यही माँ मिले और नाती कहती है कि अगली बार नानी माँ के रूप में मिले।
मैं जिनकी बात कर रही हूँ उनका नाम है - साधना गर्ग

साधना दिल्ली में रहती है। वो दिल्ली के सरकारी दफ़्तरों में फ़र्नीचर रिपेयरिंग और ड्रायक्लीनिंग का काम करती हैं। साधना नेत्रहीन हैं बचपन में एक लंबी बीमारी के चलते उनकी आँखों की रौशनी चली गई। लेकिन, साधना से मिलने पर ये ज़रा भी महसूस नहीं होता है कि वो देख नहीं सकती हैं। अपना हर काम वो खुद करती है। किसी भी बात के लिए वो दूसरों पर निर्भर नहीं। अपने एक कार्यक्रम के सिलसिले में जब मैं उनके घर गई तो साधना ने खुद दरवाज़ा खोला, हमें अंदर ले गई, पानी पिलाया, चाय बनाई, नाश्ता करवाया। सब कुछ साधना ने अकेले किया। मैं उन्हें यूँ काम करते देख दंग थी। इसके बाद इंटरव्यू के दौरान साधना ने बताया कि कैसे वो बीमारी के चलते अंधी हो गई। कैसे उन्होंने घर से बाहर एक ब्लाइंड स्कूल में पढ़ाई की। साधना ने संगीत में एमए किया हैं। वो टीवी और रेडियो पर कई बार गाने भी गा चुकी हैं। साधना ने बताया कि वो गायक ही बनना चाहती थी। लेकिन, ऐसा हो नहीं पाया। बावजूद इसके साधना हमेशा से ही अपने पैरों पर खड़ी रही। वो किसी भी मामले में किसी पर निर्भर नहीं हुई। साधना ने खुद भाग दौड़ करके सरकारी दफ़्तरों में रिपेयरिंग का ये काम पाया है। वो बताती हैं कि कैसे वो बसों में अकेले सफर करती थी। आज भी वो अपने नीचे काम करने वालों को निर्देश देती हैं, उनसे काम करवाती हैं, वक़्त पर पैसे देती हैं। साधना के पति भी नेत्रहीन हैं। साधना ने प्रेम विवाह किया है। ये उनकी मर्ज़ी थी कि वो नेत्रहीन से शादी करे। उनका कहना हैं कि क्या पता आंखोंवाले को कोई और भा जाती। साधना को व्यवस्थित और अच्छे से रहना पसंद हैं। वो एक से बढ़कर एक साड़ियाँ और ज्वेलैरी की शौकीन हैं। साधना से घर पर बातचीत के बाद जब मैं उनके साथ उनके काम करनेवाली जगहों पर गई तो मुझे और भी आश्चर्य हुआ। साधना पूरे रास्ते मोबाइल पर बातें करती रही। साधना ने दफ़्तर पहुंचते ही मोबाइल पर बात की और उनका एक वर्कर गया। वो उन्हें अंदर लेकर गया। उन्होंने ऑफ़िसर से बिल की बात की। हाथों से छूकर वर्कर का किया काम महसूस किया और उसे निर्देश दिए। साधना अपना पूरा अकाउन्ट खुद संभालती हैं। वो सब कुछ ब्रेल में लिखकर रखती हैं। साधना कई किताबें भी लिख चुकी हैं। मेरे मना करने पर भी आते वक़्त साधना हमें नीचे तक छोड़ने आई।

वापसी में, मैंने अपनी आंखें बंद की और उस अंधेरे को महसूस करने की कोशिश की। कुछ 20 सेंकेड में ही मैं घबरा गई। आंखें खोलकर फिर बाहर देखने लगी। ढलता हुआ सूरज, हवा में हिलते पेड़, मेट्रो स्टेशन, सड़क पर चलती गाड़ियाँ हर संभव चीज़ को मैं ध्यान से देख रही थी और सोच रही थी कि इस संसार रंगीन संसार की जगह अगर केवल अंधेरा हो तो ??? आखिर वो कौन-सी शक्ति होगी जो साधना को उस अंधेरे से लड़ने या फिर उस अंधेरे के साथ जीना सीखा गई है....

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